अमरोहा जिले में एक किसान की बेटी की शादी समारोह के दिन रोक दी गई क्योंकि उसने कथित तौर पर 50,000 रुपये की रिश्वत देने से इनकार कर दिया था। जिला परिवीक्षा अधिकारी और अधिकारी के नेतृत्व वाली एक टीम ने कथित तौर पर 21 वर्षीय दुल्हन को नाबालिग करार दिया और उसे जबरन शादी के मंडप से ले गए, जबकि दस्तावेजों में उसकी उम्र 21 साल बताई गई थी। 9 अप्रैल को एक स्थानीय अदालत के आदेश के बाद पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
यह घटना 5 मार्च 2025 को हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में हुई थी। किसान के अनुसार, बारात आ चुकी थी और रस्में शुरू हो चुकी थीं, तभी जिला प्रोबेशन अधिकारी और सात सदस्यों वाली एक टीम ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने दावा किया कि दुल्हन नाबालिग थी और कथित तौर पर मामले को “समाधान” करने के लिए ₹ 50,000 की मांग की।
जब किसान ने पैसे देने से मना कर दिया और दुल्हन का आधार कार्ड दिखाया, जिससे पता चला कि वह 21 साल की है, तो अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे धमकाया और कानूनी तौर पर अनिवार्य बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किए बिना दुल्हन को ले जाने लगे। इसके बजाय, युवती को कथित तौर पर ‘वन स्टॉप सेंटर’ ले जाया गया।
अगले दिन उसे सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया। समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज ने बताया कि उसके परिवार द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद उसे उनके हवाले कर दिया गया।
9 अप्रैल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने कथित कदाचार को गंभीरता से लिया। सीजेएम ओमपाल सिंह ने मामले में कथित रूप से शामिल जिला प्रोबेशन अधिकारी और सात कर्मचारियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया। अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी और निर्देश दिया कि 5 मई तक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए।
भारद्वाज ने बताया कि हालांकि, शादी पूरी नहीं हो सकी और दूल्हे का परिवार कथित तौर पर दुल्हन के बिना ही लौट गया।