“पंडित दीनदयाल एक व्यक्ति मात्र नहीं, बल्कि मानवतावादी विचार की प्रतिमूर्ति थे” – सुशील मिश्र
“वे दार्शनिक, गहन चिंतक और समर्पित संगठनकर्ता थे” – आमोद सिंह
जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सीहीपुर स्थित भाजपा कार्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजयुमो जिलाध्यक्ष दिव्यांशु सिंह ने की। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से भाजपा बनी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, भाजपा जिला महामंत्री सुशील मिश्र ने कहा,
“पंडित दीनदयाल उपाध्याय मां भारती के सच्चे सपूत थे। वे केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि मानवतावादी विचारधारा के प्रतीक थे। उनके विचारों और चिंतन के आधार पर ही भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी है।”
उन्होंने आगे कहा कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय के सिद्धांतों को अपनाते हुए भाजपा ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुंचाने का कार्य किया। दीनदयाल जी की संगठन क्षमता और गहरी विचारधारा ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक दर्शन – संगठन और नैतिकता का अद्भुत संगम
जिला मीडिया प्रभारी आमोद सिंह ने कहा,
“पंडित दीनदयाल उपाध्याय 1953 से 1968 तक भारतीय जनसंघ के नेता रहे। वे गहरे चिंतक और दार्शनिक होने के साथ-साथ एक समर्पित संगठनकर्ता थे। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और गरिमा के उच्चतम आदर्श स्थापित किए। भाजपा के लिए वे हमेशा वैचारिक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।”
दक्षिण भारत में जनसंघ के विस्तार का सपना और दुखद अंत
भाजयुमो अध्यक्ष दिव्यांशु सिंह ने कहा,
“दीनदयाल जी संगठन कौशल के धनी थे। 1968 में उन्हें भारतीय जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में जनसंघ को मजबूत करने का बीड़ा उठाया। लेकिन 11 फरवरी, 1968 का दिन भारतीय राजनीति के लिए बेहद दुखद रहा, जब उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास मौत हो गई। यह घटना आज भी उनके अनुयायियों को व्यथित करती है।”
उपस्थित कार्यकर्ताओं ने किया नमन
कार्यक्रम में ओमप्रकाश सिंह, रविंद्र दुबे, शशांक सिंह शानू, शुभम मौर्य सहित कई भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को आत्मसात करने और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।