उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य है, जो सभी जातियों और धर्मों के बीच कानूनी समानता को बढ़ावा देता है

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है, जिसका उद्देश्य सभी जातियों और धर्मों के लोगों में कानूनी समानता को बढ़ावा देना है। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होती है, अनुसूचित जनजातियों और संरक्षित प्राधिकरण-सशक्त व्यक्तियों और समुदायों को छोड़कर।
उत्तराखंड द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों को सरल और मानकीकृत करना है। इसके तहत विवाह केवल उन पक्षों के बीच ही हो सकता है, जिनमें से दोनों ही कानूनी अनुमति देने में मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की आयु 18 वर्ष पूरी हो चुकी हो और वे निषिद्ध संबंधों के दायरे में न हों।
बता दे की समान नागरिक संहिता के लिए 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी थी। इसके बाद आठ मार्च 2024 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। विधानसभा से पास होने के बाद इस इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया। यहां से 12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया। इसके बाद यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए तकनीक आधारित व्यवस्थाएं लागू की गईं। नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए। बीती 20 जनवरी को यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देकर कैबिनेट ने इसे पास कर दिया।
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