औपनिवेशिक काल के आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून खत्म होने जा रहे हैं, क्योंकि भारत में 1 जुलाई से संसद द्वारा पारित आपराधिक कानूनों के तहत नए प्रावधान लागू होने जा रहे हैं। हत्या, डकैती, चोरी या मारपीट जैसी घटनाओं पर कानूनी धाराओं में बदलाव होने जा रहा है। थानों से लेकर चौकियों तक इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। मई में इन बदलावों के बारे में अधिकारियों, सब-इंस्पेक्टरों और क्लर्कों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू हो जाएंगे। इस संबंध में कई महीनों से प्रयास चल रहे हैं। इसके अलावा दो दिन पहले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने भी जूम मीटिंग के दौरान सभी थाना प्रभारियों को एक जुलाई से लागू होने वाले कानूनों में बदलाव के बारे में निर्देश देते हुए कहा था कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अंग्रेजों के जमाने में बने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानूनों में संशोधन किया गया है।
नये कानून के अंतर्गत प्रावधान:- जहां पहले हत्या के लिए धारा 302 लगती थी, वहीं 1 जुलाई से धारा 103(1) के तहत केस दर्ज किए जाएंगे- इसी तरह, जहां पहले हत्या के प्रयास के मामले धारा 307 के तहत दर्ज होते थे, वहां 1 जुलाई से धारा 109 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे- लूट और डकैती के मामलों में जहां पहले धारा 392 लागू होती थी, अब उसे बदलकर धारा 309(4) कर दिया गया है। लागू होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए कम से कम 40 लाख लोगों को बुनियादी स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है। इसमें 5.65 लाख पुलिसकर्मी और जेल अधिकारी शामिल हैं। उन्हें भी इन नए कानूनों के बारे में सभी को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
नए कानूनों के तहत जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के साथ, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने का अधिकार दिया गया है। अब से, देश भर के हर पुलिस स्टेशन में अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लीकेशन के माध्यम से मामले दर्ज किए जाएंगे।
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