उत्तर प्रदेश में विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान (SIR) की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है, जिसका सीधा प्रभाव प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर पड़ेगा। वर्तमान में अप्रैल-मई 2026 में प्रस्तावित इन चुनावों को तय समय पर कराना मुश्किल हो सकता है।
उत्तर प्रदेश को SIR अभियान में शामिल करने से पंचायत चुनाव की तैयारियों पर असर पड़ना लाजमी है। लोकसभा-विधानसभा और पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूचियां अलग-अलग होती हैं, लेकिन इन्हें अपडेट करने वाले निचले स्तर के कर्मचारी जैसे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) साझा हैं। इसलिए चुनौतियां बढ़ना तय है।
प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में निर्धारित हैं। फिलहाल पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को अपडेट करने का कार्य जोरों पर है। 1 जनवरी 2025 के आधार पर मतदाता सूची को सही करने के लिए सर्वे पूरा हो चुका है। अब सभी एसडीएम डेटा की जांच के बाद इसे ऑनलाइन अपलोड करने का काम करेंगे। मतदाता सूची का मसौदा (अनंतिम) 5 दिसंबर को जारी होगा, जबकि अंतिम सूची 15 जनवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
इसके बाद पंचायत चुनावों की मतदाता सूचियों में उन युवा मतदाताओं को शामिल करने का अभियान चलेगा, जो 1 जनवरी 2026 को 18 वर्ष के हो जाएंगे। इसी दौरान 28 अक्टूबर से 7 फरवरी तक SIR का कार्य पूरा करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों प्रकार की मतदाता सूचियों के लिए BLO साझा हैं, इसलिए कार्यभार कम करने के उपाय निकालने पड़ेंगे। संभव है कि स्थानीय प्रशासन अतिरिक्त BLO नियुक्त कर जिम्मेदारियों को बांट दे।
क्या चुनाव टल सकते हैं? पंचायतीराज विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंचायतीराज अधिनियम के तहत चुनाव पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने से छह माह पहले या बाद में कराए जा सकते हैं। छह माह से अधिक विलंब पर केंद्र सरकार की सहायता रुक जाएगी। साथ ही, 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनाव टालना व्यावहारिक नहीं होगा। इसलिए इन सभी परिस्थितियों के बीच ही समाधान तलाशना होगा।
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