बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में भूचाल आ गया है। प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भारत विरोधी बयानों के कारण दो मंत्रियों—महफूज आलम और आसिफ महमूद—को कैबिनेट से हटाने का सख्त फैसला ले लिया है। दोनों को तत्काल इस्तीफा देने का आदेश जारी कर दिया गया है, जो फरवरी 2026 के आम चुनाव से पहले सरकार की तटस्थता बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
यह कदम शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बने अंतरिम सेटअप में शामिल छात्र नेताओं के विवादास्पद रुख के कारण उठाया गया है, जिससे भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद गठित यूनुस सरकार में सलाहकारों (मंत्रियों) के रूप में इन युवाओं को शामिल किया गया था, जो छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे। लेकिन उनके भारत-विरोधी बयानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा कर दिया। महफूज आलम, जो यूनुस के बेहद करीबी माने जाते हैं, नवंबर 2024 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का सलाहकार बना। ढाका विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने वाले महफूज ने दिसंबर 2024 में फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाते हुए ‘नई भूगोल’ की बात कही। इस पोस्ट को जल्द ही डिलीट कर दिया गया, लेकिन भारत ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे संप्रभुता पर हमला बताया। महफूज ने भारत को ‘हिंदू चरमपंथियों’ का आरोप लगाया और पूर्वोत्तर राज्यों पर ‘बंगाली-विरोधी’ रवैया बरतने का दावा किया।
वहीं, आसिफ महमूद युवा एवं खेल मंत्रालय के सलाहकार हैं। वे भी छात्र आंदोलन से उभरे हैं, जिसने हसीना सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई। आसिफ ने हाल ही में एक बयान में दावा किया कि बांग्लादेश सरकार ने भारत के साथ सभी परियोजनाएं रद्द कर दी हैं, जिसे यूनुस सरकार के विदेश मंत्री को खारिज करना पड़ा। आसिफ के गाहे-बगाहे भारत विरोधी बयान सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे थे। दोनों सलाहकारों ने नाहिद इस्लाम की पार्टी से जुड़ने की भी बात सामने आई है, जो छात्र आंदोलन से जुड़ी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ सलाहकार चुनाव घोषणा तक समय मांग रहे थे, लेकिन यूनुस ने साफ कह दिया कि तटस्थता बनाए रखने के लिए इन्हें तुरंत हटना होगा। यह फैसला अंतरिम सरकार की वैधता और भारत के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि भारत ने बार-बार ऐसे बयानों पर कड़ी चेतावनी दी है।
मई 2025 में यूनुस के ‘भारत द्वारा अस्थिरता फैलाने’ के आरोपों को भी भारत ने सिरे से खारिज किया था, इसे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश बताया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हटाना यूनुस सरकार को मजबूत कर सकता है, लेकिन अल्पसंख्यक हिंसा और चुनावी अनिश्चितता जैसे मुद्दे बाकी हैं।
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