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दिवाली 2025: मिठाइयों की खुशियां, प्रदूषण के जोखिम! जानें किन बीमारियों का खतरा बढ़ता है और बचाव के आसान उपाय

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दिवाली का पावन त्योहार मिठाइयों, दीयों और पारिवारिक खुशियों का प्रतीक है, जो इस वर्ष 20 अक्टूबर को सोमवार को मनाया जाएगा। पूरे देश में उत्साह का माहौल है, लेकिन यह जश्न जितना आनंदमय है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा भी साबित हो सकता है।

पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण की घनी धुंध छा जाती है, जलने-चोट का खतरा रहता है और अत्यधिक मिठाई खाने से पाचन तंत्र प्रभावित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली जैसे शहरों में दिवाली के बाद AQI 380 तक पहुंच जाता है, जिससे श्वास संबंधी बीमारियां 30-40% तक बढ़ जाती हैं। इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है—गर्म कपड़े पहनें, धूल-धुएं से बचें, पटाखों को सतर्कता से फोड़ें और दवाओं का नियमित सेवन करें। आइए जानें, दिवाली पर किन बीमारियों का खतरा सबसे अधिक बढ़ता है और इनसे बचाव के सरल उपाय क्या हैं?

दिवाली पर बढ़ने वाली प्रमुख बीमारियां और बचाव के उपाय

दिवाली के दौरान पटाखों, धूपबत्तियों, जलते दीयों और मिठाइयों से निकलने वाले धुएं व हानिकारक कण (PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड) स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे श्वसन, आंखों, गले और पाचन संबंधी समस्याएं आम हो जाती हैं। नीचे तालिका में विस्तार से समझें:

बीमारी कारण लक्षण बचाव के उपाय
अस्थमा और ब्रोंकाइटिस पटाखों का धुआं फेफड़ों में जमा हो जाता है, हवा में हानिकारक गैसें बढ़ती हैं खांसी, सांस फूलना, सीने में जकड़न, घरघराहट N-95 मास्क पहनें, घर के अंदर रहें, इनहेलर साथ रखें। बच्चों-बुजुर्गों को बाहर न जाने दें।
आंख और गले में जलन धुएं से आंखों-गले की झिल्ली सूज जाती है आंखों में लालिमा, खुजली, पानी आना; गले में खराश ठंडे पानी से धोएं, आंखों पर गीला कपड़ा रखें। गले में शहद-आदूसा का काढ़ा पिएं।
सांस लेने में परेशानी प्रदूषण से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं, खासकर बुजुर्गों-बच्चों में लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान ह्यूमिडिफायर चलाएं, भाप लें। बाहर जाते समय स्कार्फ बांधें। डॉक्टर से सलाह लें।
पाचन संबंधी विकार अधिक मिठाई-भोजन से एसिडिटी और अपच उल्टी, दस्त, पेट दर्द हल्का भोजन करें, दही-छाछ लें। रात को भारी मिठाई न खाएं। पानी ज्यादा पिएं।
जलने-चोट की समस्या पटाखों के फटने से झुलसना या चोट त्वचा लाल होना, दर्द, सूजन दस्ताने पहनें, बच्चों को अकेले न छोड़ें। बर्न क्रीम साथ रखें।
सुनने की क्षमता में कमी पटाखों का तेज शोर (140-160 डेसिबल) कानों को नुकसान कान में सीटी बजना, सुनाई कम देना कान प्लग लगाएं, शोर वाली जगह से दूर रहें। बच्चों को पटाखे न फोड़ने दें।

विशेषज्ञ सलाह: सुरक्षित दिवाली के लिए 10 गोल्डन टिप्स

  1. मास्क है जरूरी: N-95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनकर धुएं से बचें। अस्थमा रोगी इनहेलर साथ रखें।
  2. पटाखे सीमित फोड़ें: केवल ‘ग्रीन पटाखे’ इस्तेमाल करें, रात 8-10 बजे तक ही। बच्चों को दूर रखें।
  3. घर को साफ रखें: खिड़कियां बंद करें, एयर प्यूरीफायर चलाएं। धूल साफ करने के लिए गीला कपड़ा इस्तेमाल करें।
  4. हल्का खान-पान: मिठाई कम खाएं, फल-सब्जियां ज्यादा लें। डायबिटीज रोगी ब्लड शुगर चेक करें।
  5. आंखों की देखभाल: धुआं लगे तो ठंडे पानी से धोएं। चश्मा पहनें।
  6. बुजुर्ग-बच्चों पर नजर: उन्हें घर के अंदर रखें, दवा समय पर दें।
  7. आपातकालीन किट: बर्न क्रीम, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक दवा तैयार रखें।
  8. वाहन सावधानी: धुंध में धीरे चलाएं, हेडलाइट ऑन रखें।
  9. डॉक्टर से संपर्क: लक्षण दिखें तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें (108 एम्बुलेंस)।
  10. पर्यावरण बचाएं: इको-फ्रेंडली दीये जलाएं, प्लास्टिक न फेंकें।

दिवाली खुशियों का त्योहार है, इसे सुरक्षित बनाकर हम अपने और अपनों की सेहत की रक्षा कर सकते हैं।

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