ब्रह्मोस मिसाइल, जिसे वैश्विक स्तर पर सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में शुमार किया जाता है, भारतीय रक्षा क्षेत्र की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसकी अदम्य ताकत, सटीक प्रहार क्षमता और बहुमुखी प्रतिभा ने भारत की सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
भारत-रूस संयुक्त उद्यम से विकसित यह मिसाइल न केवल दुश्मन के लिए खौफ का पर्याय है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक भी बन चुकी है। लखनऊ की नई उत्पादन इकाई से हाल ही में जारी पहली खेप ने इसे और मजबूत कर दिया है।
ब्रह्मोस की अनोखी विशेषताएं
ब्रह्मोस अपनी अत्याधुनिक तकनीक के कारण दुनिया भर में चर्चित है। इसकी प्रमुख खासियतें इसे बेजोड़ बनाती हैं। यह ध्वनि की गति से 2.8 से 3 गुना तेज (मच 3) उड़ान भर सकती है, जिससे यह किसी भी दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणाली को चकमा देकर लक्ष्य तक पहुंच जाती है। इसकी बहु-उपयोगिता इसे थल, जल और वायु से लॉन्च करने योग्य बनाती है, जिससे नौसेना के जहाजों, वायुसेना के लड़ाकू विमानों और थलसेना के मोबाइल लॉन्चरों पर तैनाती संभव हो पाती है। सटीकता के मामले में यह गतिशील लक्ष्यों को भी मात्र 1-2 मीटर के दायरे में भेद सकती है, जिसमें मार्ग बदलने की अद्भुत क्षमता शामिल है।
फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक से लैस ब्रह्मोस एक बार लॉन्च होने के बाद बिना किसी अतिरिक्त निर्देश के स्वयं लक्ष्य की ओर बढ़ जाती है। इसकी प्रारंभिक रेंज 290 किलोमीटर है, लेकिन अपग्रेडेड वर्जन 400-500 किलोमीटर और नवीनतम ब्रह्मोस-ईआर संस्करण 800 किलोमीटर तक मार कर सकता है। स्टेल्थ गुणों से युक्त यह मिसाइल शत्रु रडार पर मुश्किल से पकड़ी जाती है। इसके अलावा, 200-300 किलोग्राम तक के पारंपरिक या न्यूक्लियर वारहेड से लैस होने की क्षमता इसे अत्यंत विध्वंसक बनाती है।
ब्रह्मोस: रक्षा क्षेत्र में क्रांति का प्रतीक
भारत के रक्षा परिदृश्य में ब्रह्मोस का योगदान अमूल्य है। डीआरडीओ और रूसी एनपीओ मशीनोस्त्रोएनिया के सहयोग से विकसित यह मिसाइल 2007 से भारतीय सशस्त्र बलों का अभिन्न अंग है। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में लखनऊ की अत्याधुनिक इंटीग्रेशन एंड टेस्ट सुविधा का स्थापित होना ऐतिहासिक है।
300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह 80 हेक्टेयर इकाई सालाना 80-100 मिसाइलें तैयार करेगी, जो भविष्य में 150 तक पहुंचेगी। इससे न केवल सेना की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा अर्जित होगी। यूपी सरकार को जीएसटी राजस्व मिलेगा और हजारों उच्च कौशल वाले युवाओं को रोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है, जो तकनीकी शोध और आर्थिक विकास को गति देगा।
ब्रह्मोस मिसाइल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की मिसाल भी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शब्दों में, “यह पाकिस्तान के हर इंच को अपनी पहुंच में रखती है।” इसकी सफलता से भारत रक्षा निर्यातक देशों की श्रेणी में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
The post ब्रह्मोस मिसाइल: दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज हथियार, भारत की रक्षा क्रांति; जानें इसकी अद्भुत खासियतें appeared first on Live Today | Hindi News Channel.