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ओवैसी का तालिबान पर बड़ा बयान: ‘2016 में ही कहा था- बातचीत जरूरी, अब पूर्ण राजनयिक संबंध बनाएं’

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अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की छह दिवसीय भारत यात्रा के बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत-तालिबान संबंधों को मजबूत करने की वकालत की है।

न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि भारत को काबुल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने चाहिए, क्योंकि सिर्फ बातचीत काफी नहीं है। उन्होंने 2016 के अपने संसदीय भाषण का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने तालिबान की सत्ता वापसी की भविष्यवाणी की थी और बातचीत की जरूरत बताई थी, लेकिन तब भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

ओवैसी ने कहा, “मैंने 2016 में संसद में कहा था कि तालिबान आएंगे, उनसे बात करनी चाहिए। आज देखिए, उनके विदेश मंत्री यहां हैं और पाकिस्तानी वायुसेना वहां बमबारी कर रही है। क्या आप देख रहे हैं कि यह कैसे चल रहा है? हमें पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने चाहिए। देश की सुरक्षा और भू-राजनीतिक हितों के लिए हमारी वहां उपस्थिति महत्वपूर्ण है।” उन्होंने ईरान के चाबहार बंदरगाह के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत वहां से अफगानिस्तान तक मार्ग स्थापित कर सकता है, जो चीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारत की स्थिति मजबूत करेगा। ओवैसी ने सरकार के काबुल में टेक्निकल मिशन को एम्बेसी का दर्जा देने के फैसले का भी स्वागत किया।

ओवैसी का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत की अफगानिस्तान नीति पर बहस तेज हो रही है। मुत्तकी 9 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे थे, और संयुक्त राष्ट्र की यात्रा प्रतिबंध से छूट मिलने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। शनिवार को वे दारुल उलूम देवबंद पहुंचे, जहां जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से मिले। मुत्तकी ने कहा, “भारत-अफगानिस्तान संबंधों का भविष्य उज्ज्वल है।” रविवार को आगरा का दौरा रद्द हो गया, लेकिन यात्रा 16 अक्टूबर तक जारी है।

पाकिस्तान का तीखा विरोध: संयुक्त बयान पर अफगान राजदूत को तलब

ओवैसी के बयान के बीच पाकिस्तान ने भारत-अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर कड़ा ऐतराज जताया। शनिवार को इस्लामाबाद ने अफगान राजदूत को तलब कर जम्मू-कश्मीर का जिक्र होने पर सख्त आपत्ति दर्ज की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है। संयुक्त बयान में अफगानिस्तान ने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और भारत की जनता व सरकार के प्रति संवेदना व्यक्त की। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय देशों से उत्पन्न आतंकवाद की भी निंदा की।

पाकिस्तान ने कहा, “यह बयान कश्मीर के लोगों के बलिदान और स्व-निर्णय के अधिकार की उपेक्षा करता है।” पाकिस्तान ने मुत्तकी के पाकिस्तान को आतंकवाद का आंतरिक मुद्दा बताने पर भी आपत्ति जताई। पाकिस्तान का दावा है कि अफगान मिट्टी से उसके खिलाफ आतंकी गतिविधियां हो रही हैं। यह घटना भारत-अफगान संबंधों को मजबूत करने के बीच पाकिस्तान की चिंता को उजागर करती है, जहां दिल्ली ने काबुल में एम्बेसी खोलने की घोषणा की है।

ओवैसी का बयान भारत की अफगान नीति पर विपक्षी दबाव बढ़ा रहा है, जबकि पाकिस्तान का विरोध क्षेत्रीय तनाव को नई ऊंचाई दे रहा है। मुत्तकी की यात्रा भारत की व्यावहारिक कूटनीति का प्रतीक है, लेकिन कश्मीर मुद्दे ने पाक-अफगान संबंधों में दरार डाल दी है।

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