दिल्ली में अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। अफगान दूतावास में आयोजित इस कार्यक्रम में महिला पत्रकारों को कथित तौर पर एंट्री नहीं दी गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। कांग्रेस ने इस घटना को महिलाओं के अपमान का प्रतीक बताते हुए भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
विपक्ष के दिग्गज नेता प्रियंका गांधी, पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्तकी 9 से 16 अक्टूबर तक सात दिनों के भारत दौरे पर हैं। यह 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद काबुल से भारत आने वाला पहला उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल है। शुक्रवार को उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। बैठक के बाद अफगान दूतावास में मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, लेकिन इसमें कोई महिला पत्रकार नजर नहीं आई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान के साथ आए अधिकारियों ने ही पत्रकारों की सूची तैयार की थी, और भारतीय पक्ष के सुझाव के बावजूद महिलाओं को आमंत्रित नहीं किया गया। कुछ महिला पत्रकारों को दूतावास के बाहर रोक दिया गया।
मुत्तकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं के अधिकारों पर सीधा सवाल टालते हुए कहा कि हर देश के अपने रीति-रिवाज, कानून और सिद्धांत होते हैं, जिनका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में शांति स्थापित हुई है और रोजाना 200-400 मौतें रुक गई हैं। लेकिन इस घटना ने तालिबान की महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों को फिर से उजागर कर दिया, जहां महिलाओं की शिक्षा और काम पर पाबंदियां हैं।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को पकड़ लिया और सरकार को घेरना शुरू कर दिया। कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया। उन्होंने लिखा, “अगर प्रधानमंत्री द्वारा महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देना चुनाव से चुनाव तक का सिर्फ दिखावा नहीं है, तो फिर हमारे देश की सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया?” प्रियंका ने इसे “भारत की सक्षम महिलाओं का अपमान” करार दिया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी सोशल मीडिया पर अपनी हैरानी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात पर हैरानी है कि अफगानिस्तान के मंत्री अमीर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया। मेरे निजी विचार से, जब पुरुष पत्रकारों को पता चला कि उनकी महिला सहकर्मियों को शामिल नहीं किया गया, तो उन्हें बाहर चले जाना चाहिए था।” चिदंबरम ने पुरुष पत्रकारों को महिला सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाने की नसीहत दी।
कांग्रेस सांसद कार्ति पी चिदंबरम ने भी विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मंत्रालय की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मैं उन भू-राजनीतिक मजबूरियों को समझता हूं जो हमें तालिबान से बात करने पर मजबूर करती हैं, लेकिन उनके भेदभावपूर्ण और प्राचीन रीति-रिवाजों को मानना हास्यास्पद है। तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने में विदेश मंत्रालय और जयशंकर का आचरण बेहद निराशाजनक है।” कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी सवाल उठाया, “वे कौन होते हैं जो हमारे भूमि पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का एजेंडा थोपते हैं?”
इसके जवाब में केंद्र सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। यह अफगान दूतावास का आयोजन था, और भारतीय पक्ष ने महिलाओं को शामिल करने का सुझाव दिया था, लेकिन तालिबान पक्ष ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा की, इसे तालिबान की मिसोजिनी का प्रतीक बताया। कई पत्रकारों ने ड्रेस कोड का पालन करने के बावजूद रोकने पर गुस्सा जाहिर किया।
The post तालिबान मंत्री मुत्तकी की दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों पर बैन, कांग्रेस ने पीएम मोदी से किया सवाल, ‘महिलाओं का अपमान कैसे?’ appeared first on Live Today | Hindi News Channel.






