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तालिबान विदेश मंत्री का ऐतिहासिक भारत दौरा: 9 अक्टूबर को नई दिल्ली पहुंचेंगे अमीर खान मुत्तकी, 2021 के बाद पहली हाई-लेवल यात्रा

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अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 9 अक्टूबर को भारत का दौरा करेंगे, जो 2021 में तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद काबुल से नई दिल्ली की पहली हाई-लेवल यात्रा होगी। यह यात्रा 9 से 16 अक्टूबर तक चलेगी, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने मुत्तकी को यात्रा प्रतिबंध से अस्थायी छूट दी है।

यह कूटनीतिक सफलता महीनों की बैकचैनल बातचीत और भारत की बढ़ती मानवीय सहायता के बाद आई है। यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की उम्मीद है, जहां ऊर्जा सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयास और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा होगी।

UNSC की छूट: यात्रा का रास्ता साफ

30 सितंबर 2025 को UNSC की 1988 संकल्प समिति ने मुत्तकी (TAi.026) को यात्रा प्रतिबंध से छूट दी, जो संयुक्त राष्ट्र के तहत तालिबान नेताओं पर लगे प्रतिबंधों का हिस्सा है। समिति ने कहा, “30 सितंबर 2025 को, 1988 (2011) संकल्प के तहत स्थापित सुरक्षा परिषद समिति ने अमीर खान मुत्तकी को 9 से 16 अक्टूबर 2025 तक नई दिल्ली, भारत जाने की यात्रा प्रतिबंध छूट को मंजूरी दी।” यह छूट आधिकारिक कर्तव्यों के लिए दी गई है। पहले सितंबर में इसी यात्रा की योजना रद्द हो गई थी, क्योंकि पाकिस्तान की अध्यक्षता वाली समिति ने सहमति नहीं दी थी।

बैकचैनल कूटनीति: दुबई से दिल्ली तक

भारतीय कूटनीतिक हलकों में यह यात्रा कई महीनों से तैयार हो रही है। जनवरी 2025 से विदेश सचिव विक्रम मिसरी और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी जे.पी. सिंह ने दुबई जैसे तटस्थ स्थानों पर मुत्तकी और अन्य तालिबान नेताओं से कई दौर की बातचीत की। मई 2025 में जयशंकर ने मुत्तकी से फोन पर पहली मंत्रिस्तरीय बातचीत की, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (भारत-पाक सीमा पर सैन्य अभियान) के बाद पाहलगाम आतंकी हमले की निंदा के लिए धन्यवाद दिया। जयशंकर ने अफगान लोगों के साथ भारत की “परंपरागत मित्रता” को दोहराया। नवंबर 2024 में भारत ने तालिबान-अनुमोदित इकरामुद्दीन कमिल को मुंबई में कांसुल जनरल नियुक्त किया, जो तालिबान के साथ बढ़ते जुड़ाव का संकेत था।

तालिबान की आतंकी हमलों की निंदा: भारत-अफगान सहयोग का नया अध्याय

अप्रैल 2025 में काबुल में भारतीय अधिकारियों से मुलाकात के दौरान तालिबान ने जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जो पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत-अफगान एकजुटता का प्रतीक था। इसके बाद भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता बढ़ाई। सितंबर 2025 के भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले 1,000 पारिवारिक तंबू, 15 टन भोजन, 21 टन दवाएं, स्वच्छता किट, कंबल और जनरेटर भेजे। 2021 के बाद से भारत ने अफगानिस्तान को लगभग 50,000 टन गेहूं, 330 टन दवाएं और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान कीं, जो लाखों अफगानों की कठिनाइयों में सहारा बनीं।

क्षेत्रीय प्रभाव: पाकिस्तान के लिए झटका, भारत की रणनीतिक बढ़त

यह यात्रा पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका है, जो काबुल पर पारंपरिक प्रभाव रखता था। इस साल पाकिस्तान द्वारा 80,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को निर्वासित करने से इस्लामाबाद-काबुल संबंध खराब हुए, जिससे भारत को अधिक स्थान मिला। विश्लेषकों का कहना है कि मुत्तकी का दौरा काबुल की विदेश नीति विविधीकरण की इच्छा दर्शाता है, जो पाकिस्तान पर निर्भरता कम करना चाहता है। भारत के लिए यह कदम सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकी खतरों का मुकाबला और क्षेत्र में चीनी-पाकिस्तानी प्रभाव को संतुलित करने के लिए है। तालिबान ने भारत को “महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति” कहा है।

यह दौरा दक्षिण एशिया की शक्ति संतुलन को बदल सकता है, जहां भारत तालिबान के साथ सतर्क सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन मान्यता से पहले समावेशी सरकार और अफगान मिट्टी से आतंकवाद रोकने की शर्त रखे हुए है।

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