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तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर हमला: बजट घोषणाओं पर सवाल, डिबेट की चुनौती

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है, खासकर उनकी हालिया घोषणाओं और बजट के वित्तीय प्रबंधन को लेकर।

तेजस्वी ने सवाल उठाया है कि नीतीश सरकार ने ₹3.17 लाख करोड़ के बजट के बावजूद कई ऐसी योजनाओं और वादों की घोषणा की है, जिनका खर्च बजट से कहीं अधिक है। उन्होंने पूछा, “इतना पैसा कहां से आएगा?” साथ ही, उन्होंने नीतीश कुमार को चुनौती दी कि अगर वह स्वस्थ हैं तो इस मुद्दे पर पारदर्शिता के साथ डिबेट करें।

तेजस्वी का सवाल: पैसा कहां से आएगा?
तेजस्वी यादव ने अपने भाषणों में बार-बार दावा किया कि जब वह नौकरियों और विकास की बात करते थे, तो नीतीश कुमार उनसे पूछते थे, “पैसा कहां से लाओगे?” अब तेजस्वी ने यही सवाल नीतीश से उछाला है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की है, जैसे:

  • 10,000 विकास मित्रों को टैबलेट के लिए ₹25,000 की एकमुश्त राशि और भत्तों में वृद्धि।
  • बेरोजगार स्नातकों को दो साल तक ₹1,000 मासिक भत्ता।
  • महिला उद्यमियों के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत ₹10,000 और बाद में ₹2 लाख की सहायता।
  • 16 लाख निर्माण श्रमिकों के लिए ₹5,000 का वस्त्र भत्ता और जीविका, आंगनवाड़ी, और आशा कार्यकर्ताओं के लिए मानदेय में वृद्धि।

तेजस्वी का कहना है कि इन योजनाओं का कुल खर्च बजट से कहीं अधिक है, लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि धन का इंतजाम कैसे होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार “नकलची” है और उनकी पार्टी (RJD) द्वारा पहले घोषित योजनाओं को कॉपी कर रही है, जैसे 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा, जिसके जवाब में नीतीश ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा की।

पारदर्शिता और विजन पर सवाल
तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर न केवल आर्थिक पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया, बल्कि यह भी कहा कि सरकार के पास बिहार के विकास के लिए कोई ठोस विजन नहीं है। उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा की गई घोषणाएँ केवल चुनावी स्टंट हैं, जिनका उद्देश्य जनता को लुभाना है। तेजस्वी ने केंद्र सरकार से भी सवाल किया कि बिहार को गुजरात की तुलना में कितना कम फंड मिलता है, जिससे यह संकेत दिया कि बिहार के साथ भेदभाव हो रहा है।

उन्होंने नीतीश से पूछा, “आपके पास इन योजनाओं के लिए पैसा कहां से आएगा? आपका विजन क्या है? अगर आप स्वस्थ हैं, तो आइए, इस पर डिबेट करें।” यह चुनौती न केवल नीतीश की नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर भी तंज कसती है, जिसे पहले भी तेजस्वी ने मुद्दा बनाया था।

नीतीश का जवाब: विकास और पारदर्शिता का दावा
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू ने तेजस्वी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने पिछले 20 वर्षों में बिहार में अभूतपूर्व बुनियादी ढांचा विकास किया है और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रदान किया है। जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, “नीतीश कुमार एक दूरदर्शी नेता हैं, जो महिलाओं, युवाओं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए लगातार काम कर रहे हैं।”

नीतीश ने हाल ही में केंद्र सरकार के बजट 2025 की तारीफ की, जिसमें बिहार के लिए मखाना बोर्ड, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों, और पश्चिमी कोसी नहर परियोजना जैसी योजनाओं की घोषणा की गई। उन्होंने दावा किया कि ये पहल बिहार के विकास को गति देंगी और रोजगार सृजन करेंगी।

विवाद का केंद्र: वित्तीय प्रबंधन और विश्वसनीयता
तेजस्वी का यह सवाल कि “पैसा कहां से आएगा?” बिहार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण है। तेजस्वी ने दावा किया कि 2025-26 में बिहार का कुल कर्ज ₹4.6 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 37% है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हर साल ₹25,000-30,000 करोड़ ब्याज चुकाने में खर्च कर रही है, जिससे विकास कार्यों के लिए धन की कमी हो रही है।

दूसरी ओर, नीतीश सरकार का दावा है कि उनकी योजनाएँ केंद्र सरकार के सहयोग और राज्य के संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से पूरी होंगी। हालांकि, तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ठेके और निविदाओं में 30% तक कमीशन ले रही है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

डिबेट की चुनौती: क्या होगा असर?
तेजस्वी की डिबेट की चुनौती न केवल नीतीश की नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विपक्ष बिहार चुनाव में नीतीश सरकार को आर्थिक प्रबंधन और पारदर्शिता के मुद्दे पर घेरना चाहता है। यह चुनौती नीतीश के लिए एक कठिन परीक्षा हो सकती है, क्योंकि उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।

हालांकि, नीतीश ने पहले तेजस्वी को “बच्चा” कहकर उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाए थे, खासकर विशेष गहन संशोधन (SIR) जैसे मुद्दों पर। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश इस डिबेट की चुनौती स्वीकार करते हैं या इसे नजरअंदाज कर अपनी योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान देते हैं।

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