लद्दाख की राजधानी लेह में 24 सितंबर को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद लगाया गया कर्फ्यू 27 सितंबर 2025 को चौथे दिन भी जारी है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे, जिसमें 30 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।
लेह अपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय, हिल काउंसिल मुख्यालय, और कई वाहनों में आगजनी की, जिसके बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया। इस कारण लेह और कारगिल सहित अन्य प्रमुख शहरों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है।
जरूरी सामान की कमी:
लगातार कर्फ्यू के कारण लेह में राशन, दूध, और सब्जियों जैसी जरूरी वस्तुओं की भारी कमी हो गई है। स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि दुकानें बंद होने से आपूर्ति बाधित है, खासकर बच्चों के लिए दूध की किल्लत परेशानी का सबब बनी है। एक स्थानीय निवासी डोलमा ने कहा, “24 तारीख के बाद से हम कुछ नहीं खरीद पाए। वयस्क तो जैसे-तैसे खाना मैनेज कर लेते हैं, लेकिन दूध पर निर्भर बच्चों के लिए यह मुश्किल है।”
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को कर्फ्यू में कुछ ढील देने की योजना थी ताकि लोग जरूरी सामान खरीद सकें, लेकिन शनिवार तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। लेह की जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोनक ने शुक्रवार से दो दिनों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज, और आंगनवाड़ी केंद्र बंद करने का आदेश दिया है।
हिंसा का कारण और पृष्ठभूमि:
प्रदर्शन 10 सितंबर से शुरू हुए 35 दिन के अनशन के बाद भड़के, जब दो अनशनकारी, त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोलमा (60), की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। लेह अपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) पिछले चार वर्षों से लद्दाख के लिए चार मांगें उठा रहे हैं:
- पूर्ण राज्य का दर्जा
- छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा
- लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें
- स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और पब्लिक सर्विस कमीशन
2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से यह आंदोलन तेज हुआ। प्रदर्शनकारी मानते हैं कि बिना छठी अनुसूची के, लद्दाख का पर्यावरण, सांस्कृतिक पहचान, और स्थानीय लोगों के जमीन और नौकरी के अधिकार खतरे में हैं।
सरकारी और प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया:
केंद्र सरकार ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि यह युवाओं की बेरोजगारी और सरकार की अनसुनी नीतियों से उपजी “जेन-जेड क्रांति” थी। वांगचुक ने 15 दिन का अनशन खत्म कर हिंसा की निंदा की और शांति की अपील की। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा को बांग्लादेश और नेपाल जैसे आंदोलनों से प्रेरित “षड्यंत्र” बताया और सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।
विपक्षी दलों, जैसे पीडीपी और कांग्रेस, ने हिंसा के लिए बीजेपी की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र ने छह साल में लद्दाख के लोगों से किए वादे पूरे नहीं किए, जिससे उनकी “सहिष्णुता की सीमा” टूट गई। कांग्रेस नेता करन सिंह ने हिंसा पर चिंता जताते हुए केंद्र से शांतिपूर्ण समाधान की अपील की।
वर्तमान स्थिति और भविष्य:
50 से अधिक लोगों को हिंसा में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया गया है, और पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या इसमें नेपाल के तीन घायल नागरिकों सहित विदेशी तत्व शामिल थे। गृह मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय टीम ने गुरुवार को लेह में स्थिति का जायजा लिया और LAB व KDA के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
27 या 28 सितंबर को नई दिल्ली में एक प्रारंभिक बैठक होगी, जिसमें LAB और KDA के तीन-तीन प्रतिनिधि और लद्दाख सांसद मोहम्मद हनीफा जन शामिल होंगे। इसके बाद 6 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के साथ हाई-पावर कमेटी की औपचारिक बैठक होगी।
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