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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों के निर्माण को दी मंजूरी, बिक्री और भंडारण पर रोक बरकरार

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दे दी, लेकिन उनकी बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध को जारी रखा। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया, जिसमें केवल राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) से प्रमाणित निर्माताओं को ग्रीन पटाखे बनाने की अनुमति दी गई।

कोर्ट ने यह भी शर्त रखी कि निर्माताओं को शपथ पत्र देना होगा कि वे दिल्ली-एनसीआर में इन पटाखों की बिक्री नहीं करेंगे। यह फैसला दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और प्रमाणित निर्माताओं को समर्थन देने के बीच संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • निर्माण की अनुमति: कोर्ट ने NEERI और PESO द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों, जैसे SWAS, SAFAL, और STAR, के निर्माण को मंजूरी दी। ये पटाखे CSIR-NEERI द्वारा विकसित किए गए हैं और पारंपरिक पटाखों की तुलना में 15-30% कम प्रदूषण करते हैं।
  • दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध: ग्रीन पटाखों सहित सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री, भंडारण, और उपयोग पर दिल्ली-एनसीआर में पूर्ण प्रतिबंध लागू रहेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर इस मुद्दे पर समाधान प्रस्तुत करने के लिए 8 अक्टूबर 2025 तक का समय दिया।
  • संवैधानिक अधिकार: कोर्ट ने अनुच्छेद 21 के तहत स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को प्राथमिकता दी। जस्टिस ओका ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण “भयावह” स्तर पर है, जो विशेष रूप से सड़कों पर काम करने वाले और गरीब वर्ग को प्रभावित करता है।
  • निर्माताओं की दलील: वरिष्ठ वकील अरुंधति काटजू और के. परमेश्वर ने निर्माताओं की ओर से तर्क दिया कि ग्रीन पटाखे 90% कम प्रदूषण करते हैं और प्रतिबंध से उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जब तक प्रदूषण “लगभग शून्य” नहीं होता, प्रतिबंध में छूट नहीं दी जाएगी।

पृष्ठभूमि

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध 2017 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा शुरू किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समर्थन दिया। 2020 से दिल्ली सरकार ने सर्दियों (अक्टूबर-जनवरी) में सभी पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया, क्योंकि इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “गंभीर” श्रेणी में पहुंच जाता है। 3 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने साल भर के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, बिक्री, और उपयोग पर प्रतिबंध की पुष्टि की थी, जिसमें ग्रीन पटाखे भी शामिल थे, क्योंकि वे केवल 30% कम प्रदूषण करते हैं।

12 सितंबर 2025 को, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने पूरे देश में एक समान नीति पर विचार करने का सुझाव दिया, यह पूछते हुए कि यदि स्वच्छ हवा का अधिकार दिल्ली के लिए है, तो यह पूरे भारत के लिए क्यों नहीं।

वायु प्रदूषण की स्थिति

दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में AQI अक्सर 400 से ऊपर पहुंच जाता है, जिसके लिए पटाखों के साथ-साथ पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन, और निर्माण गतिविधियां जिम्मेदार हैं। दिल्ली सरकार ने 9 सितंबर 2024 को 21-सूत्री शीतकालीन कार्य योजना लागू की थी, जिसमें 1 जनवरी 2025 तक पटाखों पर प्रतिबंध शामिल था, जिसे बाद में 19 दिसंबर 2024 को साल भर के लिए बढ़ा दिया गया।

भविष्य की दिशा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को NEERI के साथ मिलकर ग्रीन पटाखों के प्रदूषण को और कम करने के लिए तकनीकी समाधान खोजने का निर्देश दिया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और राजस्थान को 24 मार्च 2025 तक प्रतिबंध के अनुपालन की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। यदि ग्रीन पटाखों का प्रदूषण “लगभग शून्य” हो जाता है, तो प्रतिबंध पर पुनर्विचार संभव है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी।

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