
आवाज़ न्यूज़, शाहगंज (जौनपुर)। शिवकुमार प्रजापति
तहसील शाहगंज में प्रशासन द्वारा तय की गई साप्ताहिक बंदी का पालन अब केवल कागजों तक सीमित रह गया है। बाजारों में ज्यादातर दुकानें निर्धारित अवकाश के दिन भी खुली रहती हैं।
साप्ताहिक बंदी की मूल भावना यह है कि व्यापारियों और मजदूरों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश मिले ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें और काम की गुणवत्ता बढ़े। लेकिन वास्तविकता यह है कि जब कुछ दुकानदार बंदी का पालन नहीं करते तो बाकी व्यापारी भी मजबूरी में अपनी दुकानें खोलते हैं।
डॉक्टरों की राय
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शाहगंज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रफीक फारूकी ने कहा कि सप्ताह में एक दिन अवकाश मिलने से कई लाभ होते हैं—
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
काम और निजी जीवन के बीच संतुलन
थकान और तनाव में कमी
उत्पादकता और कार्यक्षमता में वृद्धि
पूर्व आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डॉ. राजकुमार मिश्रा का कहना है कि साप्ताहिक बंदी न केवल स्वास्थ्य बल्कि काम की गुणवत्ता के लिए भी जरूरी है।
व्यापारियों की समस्याएं
नगर के व्यापारी बताते हैं कि यदि सभी लोग साप्ताहिक बंदी का पालन करें तो यह बेहद फायदेमंद होगा।
व्यापारी राम अर्जुन का कहना है कि लगातार काम करने से तनाव, नींद की कमी और एकाग्रता में गिरावट जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
व्यापारी इंद्रमणि ने कहा कि एक दिन की छुट्टी से परिवार और निजी कार्यों के लिए समय मिल सकता है।
व्यापारी लालचंद यादव का कहना है कि नियम का पालन सभी करें तभी इसका लाभ मिलेगा।
निर्धारित बंदी के दिन
शाहगंज नगर में बृहस्पतिवार को साप्ताहिक बंदी तय है।
खेतासराय में सोमवार,
गुरैनी में शनिवार,
खुटहन बाजार में सोमवार को बंदी का नियम है।
हालांकि, शाहगंज नगर के प्रमुख बाजारों—गल्ला मंडी, मसाला मंडी, गुप्ता गली, रामलीला चौक, एराकियाना, घासमंडी चौराहा, पुरानी बाजार और नई सब्जी मंडी रोड—में साप्ताहिक बंदी का पालन नहीं हो रहा है।
उदासीनता का कारण
व्यापारियों का कहना है कि श्रम विभाग की उदासीनता और उद्योग व्यापार मंडल की अनदेखी के चलते यह नियम बेअसर हो चुका है। जबकि नियम के अनुसार दवा और खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी दुकानों को बंद रखना अनिवार्य है।