
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कथित वोटर लिस्ट अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग और जिला प्रशासन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर के जिलाधिकारियों (डीएम) के जवाबों को सतही और खानापूर्ति करार देते हुए उनकी संलिप्तता की जांच की मांग की है।

अखिलेश ने दावा किया कि इन जिलों के डीएम द्वारा सपा के 18,000 शपथपत्रों पर अचानक सक्रियता ने साबित कर दिया कि चुनाव आयोग का यह दावा गलत है कि उसे कोई शपथपत्र प्राप्त नहीं हुए।
अखिलेश ने एक्स पर लिखा, “जिस तरह कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर के डीएम हमारे 18,000 शपथपत्रों के बारे में अचानक अति सक्रिय हो गए हैं, उसने साबित कर दिया कि चुनाव आयोग का ‘एफिडेविट नहीं मिले’ का दावा झूठा है। अगर एफिडेविट मिले ही नहीं, तो डीएम किस बात का जवाब दे रहे हैं? अब सतही जवाब देकर खानापूर्ति करने वाले इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए। कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि चुनाव आयोग और डीएम में से कोई एक तो गलत है।”
जिलाधिकारियों का जवाब और अखिलेश का पलटवार
कासगंज के डीएम प्रणय सिंह ने दावा किया कि आठ मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत मिली थी, लेकिन जांच में पाया गया कि सात मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार थे, इसलिए एक नाम नियमानुसार हटाया गया। जौनपुर के डीएम ने कहा कि पांच मतदाताओं के नाम 2022 से पहले मृत्यु के कारण हटाए गए थे, जिसकी पुष्टि परिवार और स्थानीय लोगों ने की। बाराबंकी के डीएम ने भी अखिलेश के आरोपों को खारिज करते हुए वोट कटने की बात को गलत बताया।
अखिलेश ने इन जवाबों को खानापूर्ति करार दिया और सवाल उठाया कि अगर शपथपत्र मिले ही नहीं, तो डीएम जवाब क्यों दे रहे हैं? उन्होंने जनता की ओर से पूछा, “इतने साल बाद जवाब क्यों आया?” उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी पर पकड़े गए लोगों की सफाई पर कोई भरोसा नहीं करता।
‘चुनावी त्रिगुट’ पर निशाना
अखिलेश ने भाजपा सरकार, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन को ‘चुनावी तीन तिगाड़ा’ करार देते हुए आरोप लगाया कि इनकी मिलीभगत ने लोकतंत्र पर डाका डाला है। उन्होंने कहा कि यह त्रिगुट अपने स्वार्थों के लिए देश और जनता के साथ धोखा करता है, लेकिन अंततः सच सामने आएगा और जनता इन्हें सजा देगी। सपा प्रमुख ने पहले भी 18,000 शपथपत्रों के साथ वोट कटने के सबूत देने का दावा किया था और चुनाव आयोग से डिजिटल रसीद की सत्यता पर शपथपत्र मांगा था।
विपक्ष की रणनीति और सरकार पर हमला
अखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा और प्रशासन ने पिछड़े वर्गों (PDA) के वोटों को जानबूझकर काटा और चुनावी प्रक्रिया में धांधली की। उन्होंने मांग की कि जाति के आधार पर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) न लगाए जाएं और एक भी डीएम को निलंबित करने से पूरे देश में वोट कटने की घटनाएं रुक जाएंगी। सपा ने बिहार और यूपी में ‘वोट अधिकार यात्रा’ को तेज करने का ऐलान किया है ताकि मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा हो।
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