
कौशांबी जिले की चायल विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित कर दिया गया है। गुरुवार को विधानसभा में सपा नेतृत्व को खुली चुनौती देने के कुछ ही घंटों बाद यह कार्रवाई की गई।

पूजा पाल ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चायल सीट से जीत हासिल की थी। हालांकि, उमेश पाल हत्याकांड के बाद उनका रुख बदलने लगा और वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के करीब नजर आने लगीं। उनके बयानों और आचरण के कारण सपा में असंतोष बढ़ता गया।
पिछले साल राज्यसभा चुनाव में पूजा पाल सहित सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। उस समय मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन पूजा पाल को सुधार का मौका देते हुए कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ‘पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक’ (PDA) फॉर्मूले के तहत पाल बिरादरी में गलत संदेश जाने से बचने की कोशिश की गई थी, ताकि बीजेपी इसका फायदा न उठा सके। लेकिन अब पूजा पाल के सपा से निष्कासन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनका बीजेपी में शामिल होना लगभग तय है।
खबरों के मुताबिक, पूजा पाल को बीजेपी में शामिल होने के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री पद भी मिल सकता है। सपा में रहते हुए उनके लिए यह संभव नहीं था, लेकिन निष्कासन ने उनके लिए यह रास्ता खोल दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूजा पाल का बीजेपी में जाना न केवल पाल समाज में पार्टी का प्रभाव बढ़ाएगा, बल्कि प्रयागराज क्षेत्र की राजनीति में भी नए समीकरण बना सकता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी पूजा पाल ने बीजेपी का समर्थन किया था, जिससे सपा में उनके खिलाफ नाराजगी बढ़ी थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनके आचरण पर लगातार नजर रखी जा रही थी। अब उनकी अगली राजनीतिक चाल और बीजेपी की रणनीति पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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