
फतेहपुर में मकबरे को ठाकुरद्वारा मंदिर बताने का दावा करते हुए सोमवार को भारी हंगामा और पथराव हुआ। हिंदू संगठनों ने धार्मिक स्थल पर 20 मिनट तक कब्जा किया और मजारों व कब्रों में तोड़फोड़ की। इस दौरान भगवा झंडा लहराया गया। मामले में 10 नामजद सहित 160 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

मकबरे और मंदिर को लेकर पहले से चले आ रहे विवाद ने सोमवार को हिंसक रूप ले लिया। भाजपा जिलाध्यक्ष के आह्वान पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता एकत्र हुए और पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर धार्मिक स्थल तक पहुंच गए। पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं ने 20 मिनट तक परिसर पर कब्जा रखा, भगवा झंडा लहराया, धूपबत्ती जलाई और नारेबाजी की। इस दौरान मजारों और कब्रों पर डंडों से तोड़फोड़ की गई। सूचना मिलने पर दूसरा समुदाय भी मौके पर पहुंच गया, जिसके बाद दोनों पक्षों में पथराव और मारपीट शुरू हो गई।
डीएम रविंद्र सिंह और एसपी अनूप सिंह ने स्थिति को नियंत्रित किया। एडीजी संजीव गुप्ता ने मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने 10 भाजपा कार्यकर्ताओं सहित 160 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें जिला पंचायत सदस्य अजय सिंह, सभासद रितिक पाल, विनय तिवारी और पुष्पराज पटेल का नाम शामिल है।
भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल और विहिप प्रांत उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय सहित कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर मंदिर के शुद्धिकरण और नियमित पूजा की मांग की थी। सोमवार सुबह नौ बजे से ही डाक बंगले के पास कर्पूरी ठाकुरी चौराहे पर हिंदू संगठनों और भाजपा कार्यकर्ता जुटने लगे।
बैरिकेडिंग तोड़कर परिसर में घुसे कार्यकर्ता
हंगामे के बीच सुबह 11 बजे करीब 300 से अधिक कार्यकर्ता बैरिकेडिंग तोड़कर इमारत तक पहुंचे। पुलिस के सामने ही परिसर में तोड़फोड़ की गई। अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रांतीय उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी और अन्य कार्यकर्ताओं ने पूजा-अर्चना की और मजारों पर लाठी-डंडों से प्रहार किया। पुलिस के मना करने के बावजूद भगवा झंडा लगाया गया। 20 मिनट बाद कार्यकर्ता हटे।
50 मीटर दूर मौजूद दूसरे समुदाय की भीड़ ने भगवा झंडा देखकर गुस्सा जताया, जिसके बाद दोनों पक्षों में नोकझोंक और पथराव शुरू हो गया। पथराव और भगदड़ में बजरंग दल के संयोजक धर्मेंद्र सिंह जनसेवक, रामप्रताप अनुरागी और सजल को चोटें आईं। करीब दो घंटे तक हंगामा और नारेबाजी चली। एडीजी संजीव गुप्ता ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताई। हालात नियंत्रित करने के लिए कौशांबी और बांदा से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया।
विवाद की शुरुआत
आबूनगर रेड्डया में यह प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसे एक समुदाय वर्षों से पूजता रहा है। मंदिर मठ संरक्षण संघर्ष समिति के धनंजय द्विवेदी और अन्य ने 7 अगस्त को डीएम को मांगपत्र सौंपकर इसे ठाकुरद्वारा मंदिर बताया था। उन्होंने बिना अनुमति मजारें बनाए जाने और रंगाई-पुताई का आरोप लगाया था। समिति ने सोमवार को साफ-सफाई और पूजा की योजना बनाई थी।
अधिकारियों का बयान
एसपी अनूप सिंह ने कहा कि लोगों को समझाकर घर भेज दिया गया है। शांति बनाए रखने के लिए 10 थानों की पुलिस, एक प्लाटून पीएसी और अन्य जिलों से फोर्स बुलाई गई है। झंडे हटा दिए गए हैं और उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई होगी। डीएम रविंद्र सिंह ने बताया कि दोनों समुदायों से बातचीत कर शांति स्थापित की गई है। मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
पहली बार ऐसी तोड़फोड़
फतेहपुर में पहले भी समुदायों के बीच तनाव हुआ, लेकिन धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ पहली बार देखी गई। 2016 में जहानाबाद में मकर संक्रांति जुलूस के दौरान पथराव हुआ था, जिसमें कई लोग घायल हुए थे। 2015 में सुल्तानपुर घोष में मूर्ति विसर्जन के दौरान पथराव में दरोगा सहित कई लोग घायल हुए थे।
मकबरे का ढांचा
मकबरे का चबूतरा ककई ईंटों से बना है और इमारत 200 साल से अधिक पुरानी मानी जाती है। 2010 में सिविल कोर्ट के आदेश पर इसे मकबरा दर्ज किया गया था।
एलआईयू की चेतावनी नजरअंदाज
एलआईयू ने प्रशासन को बड़ी घटना की चेतावनी दी थी, लेकिन पुलिस ने पहले पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती। बाद में गैर-जिलों से फोर्स बुलाकर स्थिति नियंत्रित की गई।
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