
उत्तराखंड समेत हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में जातीय जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लोकसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में दी। रावत ने कहा कि जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि विकास की आधारभूत योजना है।

केंद्र सरकार ने जनगणना-2027 को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है। पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और लद्दाख के बर्फीले इलाकों में 1 अक्टूबर 2026 से गिनती शुरू होगी, जिसका संदर्भ समय 00:00 बजे होगा। शेष भारत में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से शुरू होगी।
पहले चरण में मकान सूचीकरण होगा, जिसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, और बुनियादी सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय, और अन्य संसाधनों की जानकारी एकत्र की जाएगी। दूसरा चरण जनसंख्या गणना का होगा, जिसमें आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, जाति, अनुसूचित जाति/जनजाति, शिक्षा स्तर, और आर्थिक गतिविधियों जैसे विवरण दर्ज किए जाएंगे।
यह जनगणना भारत की पहली डिजिटल और जाति-आधारित गणना होगी, जो 1931 के बाद पहली बार जातीय आंकड़े एकत्र करेगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी, जिसमें 34 लाख गणनाकर्ता और 1.3 लाख जनगणना कर्मी मोबाइल ऐप और डिजिटल उपकरणों का उपयोग करेंगे। लोग स्वयं भी पोर्टल के माध्यम से अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे।
उत्तराखंड में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) नोडल अधिकारी होंगे, और नगर निगम क्षेत्रों में नगर आयुक्त यह जिम्मेदारी निभाएंगे। यह जनगणना 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले लोकसभा सीटों के परिसीमन और महिला आरक्षण लागू करने के लिए आधार प्रदान करेगी।
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