
हाल ही में, मध्य पूर्व में लंबे समय से चली आ रही तनावपूर्ण स्थिति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम की घोषणा की।

यह घोषणा देर रात ट्रम्प के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर की गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि दोनों देशों ने “पूर्ण और संपूर्ण युद्धविराम” पर सहमति जताई है। यह युद्धविराम 12 दिनों तक चले संघर्ष, जिसे ट्रम्प ने “12-दिवसीय युद्ध” करार दिया, को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
युद्धविराम की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ हफ्तों में ईरान और इज़रायल के बीच तनाव चरम पर था। इज़रायल ने ईरान के परमाणु सुविधाओं और सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने इज़रायल और कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर मिसाइल हमले किए। इन हमलों में इज़रायल के बेर्शेबा में कम से कम चार लोगों की मौत हुई, जबकि ईरान में इज़रायली हमलों से 950 से अधिक लोग मारे गए और 3,450 घायल हुए। इस बढ़ते संघर्ष के बीच, ट्रम्प प्रशासन ने कतर के शीर्ष नेताओं और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ मिलकर युद्धविराम की दिशा में बातचीत शुरू की।
ट्रम्प ने दावा किया कि इज़रायल और ईरान ने “लगभग एक साथ” उनसे शांति के लिए संपर्क किया। उन्होंने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और ईरानी अधिकारियों के साथ बातचीत की, जिसमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कतर के अमीर की मध्यस्थता ने भी इस समझौते को संभव बनाने में मदद की।
युद्धविराम की शर्तें और चुनौतियाँ
युद्धविराम की घोषणा के अनुसार, यह समझौता चरणबद्ध तरीके से लागू होगा। ट्रम्प के अनुसार, ईरान पहले अपनी सैन्य कार्रवाइयाँ रोकने पर सहमत हुआ, जिसके बाद इज़रायल 12 घंटे बाद ऐसा करेगा। हालाँकि, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया पर कहा कि अभी तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन अगर इज़रायल सुबह 4 बजे तक अपनी आक्रामकता रोकता है, तो ईरान भी अपने हमले बंद कर देगा। इस बयान ने युद्धविराम की स्थिति को कुछ हद तक अस्पष्ट बना दिया।
इज़रायल ने भी अभी तक इस समझौते की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। इसके अलावा, युद्धविराम की घोषणा के बाद भी ईरान से मिसाइल हमले की खबरें आईं, जिसने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। इज़रायल की सेना ने अपने नागरिकों को कई बार हवाई हमले की चेतावनी दी और बम शेल्टर में जाने की सलाह दी। बेर्शेबा में एक मिसाइल हमले में एक आवासीय इमारत को नुकसान पहुँचा, जिससे कुछ लोग घायल हुए।
वैश्विक प्रभाव
इस युद्धविराम की घोषणा का तेल बाजार पर तत्काल प्रभाव पड़ा। मध्य पूर्व में तनाव कम होने की उम्मीद के साथ कच्चे तेल की कीमतों में 7% तक की गिरावट देखी गई। ब्रेंट क्रूड 67.17 डॉलर प्रति बैरल और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 67.13 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया। यह गिरावट वैश्विक आपूर्ति चिंताओं के कम होने का संकेत देती है, क्योंकि ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है।
इसके अलावा, युद्धविराम ने वैश्विक कूटनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। ट्रम्प ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और दावा किया कि यह स्थायी शांति की ओर ले जाएगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह युद्धविराम केवल अस्थायी हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच गहरे वैचारिक और रणनीतिक मतभेद बरकरार हैं।
आगे की राह
युद्धविराम का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों पक्ष इसकी शर्तों का कितनी ईमानदारी से पालन करते हैं। ईरान ने संकेत दिया है कि वह परमाणु वार्ता के लिए तैयार है, बशर्ते इज़रायल अपनी सैन्य कार्रवाइयाँ रोके। दूसरी ओर, इज़रायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करने का लक्ष्य रखा है, जिसके चलते भविष्य में तनाव फिर से बढ़ सकता है।
इस बीच, क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियाँ इस स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही हैं। युद्धविराम के बावजूद, यमन के हौथी और लेबनान के हिजबुल्लाह जैसे ईरानी समर्थित समूहों की गतिविधियाँ भी इस समझौते की सफलता को प्रभावित कर सकती हैं।
ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम की घोषणा मध्य पूर्व में शांति की एक नई किरण लेकर आई है, लेकिन इसकी स्थिरता और दीर्घकालिक प्रभाव अभी अनिश्चित हैं। ट्रम्प प्रशासन की मध्यस्थता ने एक बार फिर वैश्विक कूटनीति में उनकी भूमिका को रेखांकित किया है। आने वाले दिन इस बात का फैसला करेंगे कि यह युद्धविराम वास्तव में “12-दिवसीय युद्ध” को समाप्त कर पाएगा या यह केवल एक अस्थायी ठहराव है।
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