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ईरान-इस्राइल तनाव: छठे दिन की स्थिति, मिसाइल हमलों से ट्रंप की चेतावनी तक

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ईरान और इस्राइल के बीच छठे दिन भी तनाव चरम पर रहा, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले जारी रखे। इस्राइली सेना ने बुधवार सुबह ईरान से दागी गई दो मिसाइलों के तेल अवीव पर हमले की पुष्टि की, जबकि इस्राइल ने तेहरान और अन्य सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए।

मानवाधिकार समूहों के अनुसार, इस्राइली हमलों में ईरान में 585 लोग मारे गए और 1,326 घायल हुए, जिनमें ज्यादातर नागरिक हैं। वहीं, इस्राइल में ईरानी हमलों से 24 नागरिकों की मौत हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की चेतावनी दी, लेकिन साथ ही कहा कि फिलहाल ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई को निशाना नहीं बनाया जाएगा।

क्या हुआ अब तक?

  1. संघर्ष की शुरुआत (13 जून 2025):
    • इस्राइल ने शुक्रवार को ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला शुरू किया, जिसका उद्देश्य ईरान की परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं को नष्ट करना था। इस्राइल ने दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की कगार पर था।
    • हमले में ईरान के नातान्ज परमाणु संवर्धन सुविधा, सैन्य ठिकानों और मिसाइल उत्पादन केंद्रों को निशाना बनाया गया। इस्राइली सेना ने तेहरान में ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कुद्स फोर्स मुख्यालय और अन्य सैन्य सुविधाओं पर भी हमले किए।
    • जवाब में, ईरान ने इस्राइल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले शुरू किए, जिनमें से कुछ तेल अवीव और हाइफा में रिहायशी इलाकों पर गिरे। ईरान ने इसे “ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट” नाम दिया।
  2. मृत्यु और क्षति:
    • ईरान में 585 लोगों की मौत और 1,326 घायल हुए, जिनमें 90% नागरिक बताए गए। इस्राइल में 24 लोगों की मौत हुई, सभी नागरिक।
    • इस्राइल के हमलों ने ईरान के सैन्य और परमाणु ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें नातान्ज की लगभग 15,000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। हालांकि, फोर्डो परमाणु सुविधा को नुकसान सीमित रहा।
    • ईरान के हमलों ने इस्राइल के हाइफा में बाज़ान तेल रिफाइनरी और तेल अवीव के रिहायशी इलाकों को नुकसान पहुंचाया।
  3. ट्रंप की भूमिका और चेतावनियां:
    • ट्रंप ने मंगलवार को ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अमेरिका को खामनेई की ठिकाना मालूम है, लेकिन फिलहाल उसे निशाना नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने ईरान से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की और चेतावनी दी कि अमेरिका का धैर्य खत्म हो रहा है।
    • ट्रंप ने इस्राइली हमलों की जानकारी होने का दावा किया, लेकिन कहा कि अमेरिका ने इसमें कोई सैन्य सहायता नहीं दी। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि वह संघर्ष में अमेरिकी भागीदारी पर विचार कर रहे हैं, जिसमें फोर्डो परमाणु सुविधा पर हमला शामिल हो सकता है, जिसके लिए अमेरिका के 30,000 पाउंड के बमों की जरूरत है।
    • ट्रंप ने जी7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौटने का फैसला किया ताकि इस्राइल-ईरान संकट पर ध्यान दे सकें। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ 90 मिनट की बैठक की।
    • ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के पास ईरान के हवाई क्षेत्र पर “पूर्ण नियंत्रण” है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इसका मतलब सैन्य हस्तक्षेप है।
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
    • जी7 नेताओं ने इस्राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, लेकिन क्षेत्रीय तनाव कम करने और गाजा में युद्धविराम की मांग की।
    • ईरान ने कतर, ओमान और सऊदी अरब से ट्रंप पर दबाव डालने को कहा ताकि इस्राइल युद्धविराम के लिए सहमत हो। बदले में, ईरान परमाणु वार्ता में लचीलापन दिखाने को तैयार है।
    • रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन इस्राइल ने इसे ठुकरा दिया।
  5. ईरान की स्थिति:
    • ईरान ने इस्राइल के हमलों को “युद्ध की घोषणा” करार दिया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपातकालीन बैठक की मांग की।
    • ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने दावा किया कि उनके नवीनतम हमले में इस्राइल की रक्षा प्रणालियों को नाकाम कर मिसाइलें लक्ष्य तक पहुंचीं।
    • खामनेई के प्रमुख सैन्य सलाहकारों की मौत और साइबर हमलों ने ईरान की स्थिति को कमजोर किया है। देश ने अधिकारियों पर मोबाइल और संचार उपकरणों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।
  6. इस्राइल की रणनीति:
    • इस्राइल ने तेहरान में सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले तेज कर दिए, जिसमें 50 से अधिक विमानों ने सेंट्रीफ्यूज उत्पादन केंद्र और मिसाइल निर्माण सुविधाओं को निशाना बनाया।
    • इस्राइल ने दावा किया कि उसने ईरान की हवाई रक्षा प्रणालियों को नष्ट कर हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया है।
    • नेतन्याहू ने कहा कि जब तक ईरान की परमाणु क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती, हमले जारी रहेंगे।

पृष्ठभूमि:

  • ऑपरेशन का कारण: इस्राइल का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने के करीब था, जिसे रोकने के लिए यह हमला जरूरी था। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA ने भी ईरान को अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन करने वाला घोषित किया था।
  • पिछले तनाव: 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले और गाजा युद्ध के बाद से ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव में कमी आई। इस्राइल ने ईरान समर्थित हिजबुल्लाह, हूती और अन्य मिलिशिया को निशाना बनाया, और सीरिया में बशर अल-असद का शासन भी ढह गया।
  • परमाणु वार्ता: ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते की कोशिश की, लेकिन ईरान ने 15 जून को होने वाली वार्ता रद्द कर दी, क्योंकि वह इस्राइली हमलों के बीच बातचीत से इनकार करता है।

वर्तमान स्थिति:

  • दोनों देशों के बीच हमले छठे दिन भी जारी हैं, जिसमें नागरिकों की मौत और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है।
  • वैश्विक तेल बाजार साउथ पारस गैस क्षेत्र पर हमलों के कारण हाई अलर्ट पर हैं।
  • ट्रंप की नीति में विरोधाभास दिख रहा है—वह युद्ध टालने की बात करते हैं, लेकिन सैन्य कार्रवाई के विकल्प भी तलाश रहे हैं।
  • इस्राइल और ईरान दोनों युद्धविराम के लिए तैयार नहीं दिखते, जिससे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

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