
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और टोंक विधायक सचिन पायलट ने शनिवार को जयपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की, जो दोनों नेताओं के बीच वर्षों से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में सुलह का एक दुर्लभ संकेत माना जा रहा है। यह मुलाकात सचिन के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दौसा में आयोजित स्मृति सभा के लिए निमंत्रण देने के लिए हुई।

सचिन पायलट ने व्यक्तिगत रूप से गहलोत को 11 जून को दौसा में होने वाली राजेश पायलट की स्मृति सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। यह मुलाकात दोनों नेताओं के बीच कई वर्षों बाद पहली सार्वजनिक बातचीत थी, जो 2020 में राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व को लेकर हुए तीखे विवाद के बाद हुई। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुलाकात का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, “AICC महासचिव सचिन पायलट ने मुझे उनके निवास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया। राजेश पायलट और मैं 1980 में एक साथ लोकसभा में आए और करीब 18 वर्ष तक सांसद रहे। उनकी असामयिक मृत्यु मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति और पार्टी के लिए बड़ा झटका थी।”
सचिन पायलट ने भी इस मुलाकात की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “आज पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। उनसे मेरे पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 11 जून को दौसा में आयोजित स्मृति सभा में शामिल होने का अनुरोध किया।”
दोनों नेताओं के बीच तनाव 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद शुरू हुआ, जब सचिन पायलट, जो तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, को मुख्यमंत्री पद के बजाय उप-मुख्यमंत्री बनाया गया, और अशोक गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई। यह निर्णय पायलट के लिए असंतोष का कारण बना। 2020 में यह तनाव तब चरम पर पहुंच गया, जब पायलट ने 18 समर्थक विधायकों के साथ गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी। गहलोत ने पायलट पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया और उन्हें “निकम्मा” और “नकारा” जैसे शब्दों से नवाजा। इसके बाद पायलट को उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जैसे शीर्ष नेताओं की मध्यस्थता के बावजूद दोनों नेताओं के बीच विश्वास की कमी बनी रही।
राजेश पायलट, जो एक प्रमुख कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री थे, की 11 जून 2000 को दौसा जिले के भंडाना गांव में एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। दौसा उनका संसदीय क्षेत्र था। उनकी पुण्यतिथि पर हर साल स्मृति सभा आयोजित की जाती है, और इस बार यह आयोजन दोनों नेताओं के बीच सुलह की संभावना को लेकर चर्चा का केंद्र बन गया है।
हालांकि दोनों नेताओं की ओर से सुलह को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, इस मुलाकात ने राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक बदलावों और आगामी विधानसभा उपचुनावों से पहले एकता की संभावनाओं को हवा दी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात कांग्रेस आलाकमान की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, ताकि पार्टी को राजस्थान में मजबूत किया जा सके। दूसरी ओर, कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि गहलोत के इस कदम को सचिन के प्रति नरम रुख के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब गहलोत ने हाल ही में किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी।
The post सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 5 साल बाद सुलह के संकेत, ये है वजह appeared first on Live Today | Hindi News Channel.