मुख्य सचिव, सचिव (गृह) पुलिस विभाग, पुलिस महानिदेशक सहित जौनपुर के डीएम व एसपी को भेजा नोटिस
आदित्य टाइम्स संवाद सुजीत वर्मा ब्यूरो चीफ
जौनपुर
गौशाला की दयनीय दुर्दशा उजागर करने पर 4 पत्रकारों के खिलाफ दर्ज कराया गया मुकदमा
केराकत, जौनपुर। गौशाला में गायों के तड़पकर मरने की खबर प्रकाशित करने एवं यू—ट्यूब चैनल पर दिखाने पर पत्रकारों के खिलाफ दर्ज कराये गये मुकदमे को भारतीय प्रेस परिषद ने गम्भीरता से ले लिया। इस पर परिषद के सचिव नंगसंगलेम्बा आओ ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता में कटौती मानते हुये अपनी चिन्ता जतायी। साथ ही परिषद ने दो सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, सचिव (गृह) पुलिस विभाग, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी जौनपुर और पुलिस अधीक्षक जौनपुर को जवाब के लिये नोटिस जारी कर दिया।
विदित हो कि बीते 21 मार्च को पत्रकार आदर्श मिश्रा सहित केराकत तहसील क्षेत्र के पत्रकार पंकज सिंह, विनोद कुमार और अरविन्द यादव मुफ़्तीगंज विकास खण्ड क्षेत्र के पेसारा गांव में स्थित अस्थायी गौशाला की दुर्दशा का न्यूज कवर करने वहां पहुंचे। पत्रकारों के अनुसार गौशाला में दो गायें मरी पड़ी थीं और इतनी ही मरणासन्न थीं जिन्हें कौवे नोच रहे थे। वहीं गौशाला में गायों के बीच गोबर की मोटी परत जमी पड़ी थी। पत्रकारों ने मौके का फोटो लिया और वीडियो क्लिप बनाया तथा वहीं से उपजिलाधिकारी केराकत नेहा मिश्रा को गौशाला की स्थिति से अवगत कराते हुये उनका पक्ष भी जाना।
पत्रकारों के अनुसार उपजिलाधिकारी का जवाब काफी तल्ख़ था। बहरहाल पत्रकारों ने उक्त समस्या को अपने स्तर से प्रकाशित कर दिया। 3 दिन बाद यानी 24 मार्च को तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों ने उक्त गांव की प्रधान चंदा देवी पर दबाव बनाकर उपरोक्त पत्रकारों के खिलाफ केराकत थाने में एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (2) सहित आईपीसी की धारा 504, 506, 384 और 429 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया।
यह बात जंगल में आग की तरह तेजी से फैल गयी जिसकी जानकारी भारतीय प्रेस परिषद को हुई तो वह गम्भीर हो गया। इसी को लेकर परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, सचिव (गृह) पुलिस विभाग, पुलिस महानिदेशक समेत जौनपुर के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को नोटिस भेजते हुये 2 सप्ताह के अन्दर अपनी बात कहने की बात कही है।
कुल मिलाकर गौशाला की दयनीय स्थिति को उजागर करने, उपजिलाधिकारी केराकत द्वारा द्वेषवश पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराने एवं इस मामले को भारतीय प्रेस परिषद द्वारा गम्भीरता से लेने पर इस समय जौनपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता जगत सहित शासन—प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है।

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